मोबाइल संस्कृति,बदलता परिवेश

वर्तमान समय में मोबाइल उतना ही महत्त्वपूर्ण हो गया है जितना कि सांस लेना। हम शायद एक क्षण भी मोबाइल से अलगाव नहीं चाहते हैं। फीचर फोन से लेकर स्मार्ट फोन तक के सफ़र ने मोबाइल क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन किए हैं। आज भारत में लगभग एक बिलियन मोबाइल उपभोक्ता हैं;और इसमें भी आधे से अधिक लोगों के पास इंटरनेट की भी सुविधा उपलब्ध है। जहाँ एक ओर मोबाइल लोगों की आवश्यकता है वहीं दूसरी ओर यह स्टेटस सिंबल बनकर भी उभरा है कि किसके पास कितना महंगा मोबाइल है, जो समाज में विभेदीकरण का कार्य करता है। सुबह उठने से लेकर रात में सोने तक के समस्त कार्यों का संचालन व्यक्ति मोबाइल के माध्यम से करने लगा है। ऐसे में जहाँ मोबाइल एक ओर समाज में नकारात्मकता का वाहक बन कर उभरा है वहीं दूसरी ओर यह सकारात्मकता का दूत भी है;यह निर्भर करता है उपयोगकर्ता पर कि वह इसका उपयोग किस प्रकार करता है।

               मोबाइल संस्कृति की नकारात्मकता पर चर्चा करें तो हम पाएंगे समाज में असहिष्णुता, वैमनस्य,कट्टरता, सांप्रदायिकता आदि के प्रचलन में वृद्धि हुई है।
वॉट्सऐप पर अप्रामाणिक, अनाम स्रोतों के माध्यम से तथ्यों और घटनाओं की गलत जानकारी का प्रसार लोगों में भ्रांति पैदा करता है, साथ ही उपयोगकर्ता भी इन जानकारियों को बिना प्रमाणित किए सही मान बैठता है जो कि अफवाहों का रूप ले लेता है और जिसके कारण समाज में अराजकता पैदा होती है। हाल ही में बच्चा चोरी की अफवाहें हमारे सामने हैं। कभी - कभी तो ये अफवाहें इतना भयावह होती हैं कि उन्मादी भीड़ द्वारा हत्या तक कर दी जाती हैं इसको लेकर माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने दिशा निर्देश भी जारी किए है साथ ही मणिपुर देश का पहला राज्य हो गया है जिसने इस पर कानून भी बनाया है। इस वर्ष राजस्थान ने भी भीड़ द्वारा हिंसा से सम्बन्धित कानून बनाया है।
वॉट्सऐप विश्वविद्यालय द्वारा फैलाई जा रही  सूचनाओं पर वही लोग विश्वास व यकीन करते हैं जो विवेकशून्य हैं। हमें आवश्यकता है इन सूचनाओं की प्रामाणिकता की जांच करने की।

वीडियोग्राफी, फोटोग्राफी,पोर्नोग्राफी आदि के माध्यम से महिलाओं व बच्चियों का शोषण भी  मोबाइल संस्कृति का एक काला सच है। लड़कियों के साथ अश्लीलता व दुर्व्यवहार जिससे उनमें असुरक्षा की भावना उत्पन्न होती है जो कि इस संस्कृति का स्याह पक्ष है।
पुरुषों के साथ हनी ट्रैप जैसी घटनाएं भी इसी से सम्बन्धित पक्ष है।
भारत विश्व में इंटरनेट डाटा का सर्वाधिक उपभोग करने वाला देश है, एक सर्वेक्षण के अनुसार भारतीय सबसे अधिक डाटा का व्यय पोर्न और नग्नता देखने में करते हैं जिसका सीधा असर उनमें दिलों दिमाग पर पड़ता है, एक यह भी कारण है महिलाओं के प्रति बढ़ते अपराध का।
टिक-टॉक , हैलो , लाइक आदि ऐप वीडियो बनाने से सम्बन्धित है जिसमें आप 15 सेकेंड तक की वीडियो बना सकते हैं। टिक-टॉक के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार इसके सर्वाधिक यूजर भारत में ही हैं। साथ ही आप ऐप्स के माध्यम से धनार्जित भी के सकते हैं।

गेमिंग - युवाओं द्वारा पबजी, ब्लू व्हेल आदि गेमों की लत उन्हें अंधकार के मार्ग पर ले जा रही है। उनमें आक्रामकता की भावना उत्पन्न हो रही है। उनमें मानसिक अवसाद घर कर रहा है।
जो कि उन्हें अपनों से दूर ले जाता है और वे एक काल्पनिक दुनिया में जीने लगते हैं।
ये आभासी खेल उनके स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक हैं साथ ही खेल के मैदानों से युवाओं का घटता लगाव एवं शारीरिक मेहनत से दूरी भी युवाओं के सन्दर्भ में चिंता का विषय है। आभासी खेलों के खेलने से उत्पन्न चिड़चिड़ापन एवं असहिष्णुता युवाओं के लिए अहितकारी है। इन आभासी खेलों एवं मोबाइल  से लगाव सिर्फ और सिर्फ समय की बर्बादी के अतिरिक्त और कुछ नहीं है, ये अनुत्पादक कार्य हमारी कार्यशील आबादी को अक्रियाशील बना रहे हैं, ऐसे में भारत अपनी जनांकिकीय लाभांश का भी पूर्णतः लाभ नहीं के पा रहा है।

गाड़ी चलाते वक़्त मोबाइल का उपयोग करने पर संशोधित मोटरयान अधिनियम के तहत जुर्माना राशि एक हजार से बढ़ा कर पांच हजार कर दी गई है। जो कि स्पष्ट करता है मोटरयान चालक मोबाइल का उपयोग वाहन चलाते वक्त करते हैं जो कि उनके साथ साथ अन्य राहगीरों के लिए असुरक्षा का कारण बनता है।जिससे सड़क दुघर्टनाओं में वृद्धि हो रही है। अंतरराष्ट्रीय सड़क संगठन के अनुसार, विश्व में सड़क हादसों और इनमें जान गंवाने वालों के मामले में भारत की हिस्सेदारी 12.06 प्रतिशत है।

मोबाइल संस्कृति का बढ़ता प्रचलन और टेलीकॉम कम्पनियों के टॉवर जिनसे निकलने वाला विकिरण जो कि स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है जो मस्तिष्क और शरीर के अन्य अंगों के लिए घातक हो सकता है। ऐसे में हमें आवश्यकता है मोबाइल फोन से उचित दूरी बनाकर रहा जाए।

मोबाइल संस्कृति के सकारात्मक प्रभाव

यूट्यूब एवं अन्य संचार माध्यमों ने भौगोलिक दूरियों को पाटने का कार्य किया है। आज हम और आप परदेश में बैठे अपने परिजनों और मित्रों से आसानी से सदृश्य वार्तालाप कर सकते हैं।
शिक्षा क्षेत्र में क्रांति - विदेश में स्थित संस्थान हो या देश में स्थित महंगे संस्थान अब गुणवत्ता परक शिक्षा किसी से दूर नहीं है, ये कर दिखाया है यूट्यूब पर उपलब्ध नि:शुल्क पाठ्य सामाग्री ने,जिस पर हर विद्यार्थी का हक है।

यूट्यूब पर उपलब्ध भांति - भांति प्रकार की सामाग्री जीवन को सहज,सरल व आसान बनाने के लिए पर्याप्त है।

परिवहन क्षेत्र में ओला, उबर, रैपिडो जैसे ऐप बहुत सहायक सिद्ध हुए हैं जिनका उपयोग कर हम सहजता से अपने गंतव्य तक अपनी पहुंच सुनिश्चित कर सकते हैं। इसी प्रकार जोमैटो, स्विग्गी,उबर ईट जैसे ऐप हमें आसानी से खाद्य सामाग्री उपलब्ध करा देते हैं। साथ ही साथ ये ऐप रोजगार प्रदान करने के सशक्त माध्यम के रूप में भी उभरे हैं। जिनसे बहुत से लोग जुड़कर अपनी आजीविका चला रहें हैं।

ओएलएक्स जैसे ऐप  खरीदने बेचने का मंच उपलब्ध कराते हैं जो कि बिचौलियों से मुक्ति दिलाते हैं।

मोबाइल बैंकिंग जैसी सुविधाओं ने वित्तीय क्षेत्र में एक प्रकार कि क्रांति ला दी है, खाताधारकों की बैंकों तक पहुंच जो कि दूर दराज में स्थित है , उनको सहजता प्रदान की है। इससे लोगों ने बैंकों पर विश्वास करना शुरू किया साथ ही वित्तीय साक्षरता में भी वृद्धि हुई है। साथ ही प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण के माध्यम से सरकार ने लगभग 1.4 लाख करोड़ रुपए की बचत भी की है।

सरकारी क्षेत्र में मोबाइल क्रांति - जैम (जनधन,आधार,मोबाइल) के माध्यम से अनेक सरकारी योजनाओं का लाभ लाभार्थियों को मिला है।
सरकार की डिजिटल इंडिया की योजना भी मोबाइल से ही संभव है।

सांस्कृतिक परिवर्तन - मोबाइल संस्कृति ने देश में एक नई संस्कृति को जन्म दिया है जिसने पश्चिम के दर्शन को आंशिक रूप से अपनाया है और भारतीय दर्शन की अच्छाइयों को त्यागने का काम किया है। या इसे यूं कह सकते है कि 
हमने अपना दिन गिरवी रखकर रात पाई है।

माता - पिता व बुजुर्गों की अनदेखी - हमारे फेसबुक की मित्रसूची में तो एक हजार मित्र हैं लेकिन घर में मां बाप से बोलचाल भी नहीं है। शायद हमने यही संस्कृति अपना ली है। बुजुर्गों के प्रति अमानवीय दृष्टिकोण एवं उनकी अपेक्षा ,यही है मोबाइल संस्कृति की विशेषता।

इस मोबाइल संस्कृति ने हमारी घड़ी, कैलकुलेटर,कैमरा, डिक्शनरी के साथ - साथ हमारा समय भी हमसे चुरा लिया है और जो सबसे महत्त्वपूर्ण चीज हमसे चुराई है वह है ' रिश्ते ' जिसकी कीमत निश्चित ही हमें भविष्य में चुकानी पड़ेगी।

समग्रत: कहा जा सकता है मोबाइल क्रांति ने एक ओर जहाँ युवाओं को पथभ्रमित करने का कार्य किया है वहीं इन युवाओं को सदमार्ग भी दिखाया है । मुझे एक उदाहरण याद आता है केरल के उस नौजवान का जिसने रेलवे स्टेशन पर कुली का कार्य करते हुए राज्य की प्रशासनिक परीक्षा उत्तीर्ण की वो भी सिर्फ स्टेशन पर उपलब्ध इंटरनेट और यूट्यूब में उपलब्ध पाठ्य सामाग्री के सहारे। मोबाइल पर
तथ्यों की, चीज़ों की, सामाग्रियों की सहज एवं सरल उपलब्धता ने लोगो की जीवन शैली को आसान बनाने का कार्य किया है, साथ ही हमें आवश्यकता है कि हम मोबाइल इंटरनेट का प्रयोग अपने व देश हित में करे ताकि देश प्रगति के मार्ग पर अग्रसर रहे, भारत विश्व के समक्ष एक मानक स्थापित कर जनांकिकी लाभांश का उचित उपयोग कर भारत विश्व गुरु बनने का स्वप्न सत्य कर सके।

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