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  • संविधान : भारतीयों की पहचानसंविधान : भारतीयों की पहचान

    संविधान : भारतीयों की पहचान

    किसी भी राष्ट्र की शासकीय व्यवस्था का संचालन कैसे होगा? उसके नागरिकों के अधिकार और कर्तव्य क्या होंगे? यह सब जिस पुस्तक में वर्णित होता है उसका नाम है संविधान। हमने अपना संविधान बनाकर विधि सम्मत व्यवस्था स्थापित की। संविधान के चार प्रमुख स्तंभ है, व्यक्तिगत स्वायत्तता एवं स्वतंत्रता; बिना किसी भेदभाव के समानता; हमारी गरिमामयी पहचान की मान्यता; एवं निजता का अधिकार ही वे चार आधार स्तंभ हैं जिस पर भारतीय संविधान टिका है।

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  • महिला दिवस विशेषमहिला दिवस विशेष

    महिला दिवस विशेष

    यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता:।

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  • हम बनेंगे स्वच्छता प्रहरीहम बनेंगे स्वच्छता प्रहरी

    हम बनेंगे स्वच्छता प्रहरी

    कश्मीर से कन्याकुमारी तक स्वच्छ भारत अभियान चले

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  • गणतंत्र के वासी... हैं बड़े सियासी!गणतंत्र के वासी... हैं बड़े सियासी!

    गणतंत्र के वासी... हैं बड़े सियासी!

    कैसी मशालें ले के चले तीरगी में आप।

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  • मोबाइल संस्कृति,बदलता परिवेशमोबाइल संस्कृति,बदलता परिवेश

    मोबाइल संस्कृति,बदलता परिवेश

    वर्तमान समय में मोबाइल उतना ही महत्त्वपूर्ण हो गया है जितना कि सांस लेना। हम शायद एक क्षण भी मोबाइल से अलगाव नहीं चाहते हैं। फीचर फोन से लेकर स्मार्ट फोन तक के सफ़र ने मोबाइल क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन किए हैं। आज भारत में लगभग एक बिलियन मोबाइल उपभोक्ता हैं;और इसमें भी आधे से अधिक लोगों के पास इंटरनेट की भी सुविधा उपलब्ध है। जहाँ एक ओर मोबाइल लोगों की आवश्यकता है वहीं दूसरी ओर यह स्टेटस सिंबल बनकर भी उभरा है कि किसके पास कितना महंगा मोबाइल है, जो समाज में विभेदीकरण का कार्य करता है। सुबह उठने से लेकर रात में सोने तक के समस्त कार्यों का संचालन व्यक्ति मोबाइल के माध्यम से करने लगा है। ऐसे में जहाँ मोबाइल एक ओर समाज में नकारात्मकता का वाहक बन कर उभरा है वहीं दूसरी ओर यह सकारात्मकता का दूत भी है;यह निर्भर करता है उपयोगकर्ता पर कि वह इसका उपयोग किस प्रकार करता है।

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  • भारत: एक सांस्कृतिक स्थलभारत: एक सांस्कृतिक स्थल

    भारत: एक सांस्कृतिक स्थल

    भारत एक जमीन का टुकड़ा ही नहीं है अपितु यह 135 करोड़ नागरिकों की आकांक्षाओं की पवित्र-पावन धरा है। भारत का शाब्दिक अर्थ है, भा-प्रकाश रत- सलंग्न अर्थात प्रकाश से भरी भूमि। निश्चित ही प्राचीन काल से ही भारत ने वैश्विक शांति,संवृद्धि और सद्भावना के लिए प्रकाश पुंज का कार्य किया है।

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